रविवार, 15 सितंबर 2013

लड़खड़ाता एटीएम समीकरण बचाने को सपा का डैमेज कंट्रोल

इलाहाबाद : पंकज विशेष

कुंडा के कत्लेआम के बाद समाजवादी पार्टी के सामने नई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। न निगलते बन रहा है न उगलते। ‘अहीर’, ‘ठाकुर’ और ‘मुस्लिम’ (ए टी एम) के त्रिकोण को अपना कोर वोट बैंक बनाकर सत्ता के गलियारों में मुकाम बनाने वाली पार्टी अब इसी तिराहे पर हैरान-परेशान खड़ी है। पूरे सूबे में मुस्लिमों का खुला आक्रोश झेल रही सपा सरकार अब डैमेज कंट्रोल के लिए मुआवजे का मलहम बांट रही है।
बुधवार को तजुर्बेकार मंत्री आजम खां के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश कुंडा पहुंचे और इससे दो दिन पहले देवरिया। मुआवजा भी दिया और आश्वासन भी। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी हलकों में इसे वोट बैंक का नुकसान बचाने की कवायद माना जा रहा है। दोनों जगह लोगों के चेहरों पर आक्रोश पढ़कर लौटे। ठाकुर विधायक राजा भैया का इस्तीफा लेने के कारण कुंडा में तो मुख्यमंत्री की मौजूदगी में आजम खां के खिलाफ नारेबाजी होती रही।
तकरीबन आठ महीने पहले प्रतापगढ़ में ही अस्थान कांड से सपा सरकार की मुश्किलें शुरू हुईं। उस सांप्रदायिक घटना के बाद ‘मुस्लिम’ और ‘ठाकुर’ वोट बैंक को साथ लेकर चलने की चुनौती खड़ी हुई थी। पार्टी के कद्दावर मुस्लिम चेहरे (अबू आजमी) और ठाकुर विधायकों आगे कर सरकार ने कीचड़ पर कालीन डालकर जैसे-तैसे जान छुड़ाई। मामला ठंडा पड़ा ही था कि बलीपुर के सीओ हत्याकांड ने फिर वही हालात पैदा कर दिए। इस बार परेशानी के कारण और ज्यादा हैं क्योंकि इससे यादव समीकरण भी  प्रभावित हो रहा है। एक तरफ मुस्लिम अफसर की हत्या, दूसरी तरफ यादव बंधुओं। साथ ही पूरे कांड के सूत्रधार के तौर पर आरोपित निर्दल ठाकुर विधायक राजा भैया। ऐसे में सपा के सामने अपने वोट बैंक में बिखराव की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
(7 मार्च 2013 को ‘हिन्दुस्तान’ इलाहाबाद में प्रकाशित)

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