शनिवार, 12 मई 2007

उत्‍तम प्रदेश प्राइवेट लिमिटेड

उत्‍तम प्रदेश प्राइवेट लिमिटेड. यही नाम सही लगता है, इस विकट प्रदेश के लिए. इसके तमाम कारण मौजूद हैं. हर कोई यहां कॉरपोरेट राजनीति लागू करना चाहता है. कॉरपोरेट घरानों का प्रदेश की राजनीति में सीधा दखल है. प्रदेश के विकास (?) का अघोषित ठेका कॉरपोरेट हस्तियों के पास है.सबसे मजेदार यह कि जिनका कॉरपोरेटीकरण नहीं हुआ है, वे भी लगे पड़े हैं.
इस भीषण उमस भरे माहौल में एक मार्केटिंग गुरु ने नया फार्मूला इजाद किया है. विद्वतजनों ने इसे सोशल इंजीनियरिंग का नाम दिया है. (वैसे अपना चिट़ठा संसार सोशल इंजीनियरिंग का सबसे बड़ा व सफल उदाहरण है). यह ठंडी बयार सभी को रास आ गई और नीले पैकेट का माल आसानी से बिक गया.
बाजार के पंडित स्‍तब्‍ध हैं. लाखों-करोड़ों रुपये का एक्जिट पोल टाइप व्‍यवसाय का दिवाला निकलने को तैयार है. राहुल और हेमामालिनी जैसे ब्रांडों का सामान गो डाउन में पड़ा रह गया. अमिताभ के विज्ञापन कैंपेन ने तेज रफ्तार जमाने में साइकिल को दौड़ से बाहर करा दिया. यह सब कमाल है मार्केटिंग एक्‍सपर्ट मायावती का. तो स्‍वागत कीजिए भारत के इस नए मार्केटिंग एक्‍सपर्ट का.
फिलहाल उत्‍तम प्रदेश प्राइवेट लिमिटेड को नया सीईओं मिल गया है, जो कार्यकारी नहीं स्‍थाई नजर आता है. हाथी पर सवार होकर वे बेचने निकली हैं. ताजमहल को इस बार कौन बचाएगा.

1 टिप्पणी:

Arun Arora ने कहा…

साईकल वाले अपनी सम्पत्ती का हिसाब नही दे पा रहे थे,हाथी तो पहले से ही बदनाम रह चुका है अब तो उसे खुल्ला चरने का मौका मिला है भाई जरा वक्त गुजर जाने दो ये जो हवा मे महल बना रहे है इन्हे जल्द ही पता चल जाने वाला है कि नाग नाथ,और साप नाथ मे कोई अन्तर नही होता कोई सोशल इन्जी. नही होती बस उत्तर प्रदेश को लूट्ने के लिये एक पूर्ण कालिक सरमाये दार मिल गया है